Thursday 8 October 2015

INDIA HONEST : क्या गोहत्या के समर्थक शैतानी बाबा लालू प्रसाद कश्...

INDIA HONEST : क्या गोहत्या के समर्थक शैतानी बाबा लालू प्रसाद कश्...: हम गौमाता की बात करते हैं और लालू जी गौ माँस की. हमे गौमाता की सेवा पसंद है और लालू को गौ माँस. अब तो आप ही बताये आप किसके साथ --मेरे या ला...

Monday 16 March 2015

Khomeini Sexually Assaulting Crying and screaming 4 year old Girl,with ...

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Wednesday 4 March 2015

जिस प्रकार शिरडी सांई एक चूतियावाद है, उसी प्रकार गॉघीवाद चूतियावाद है.
देश में गॉधी के चूतियावाद के चलते नित नये चूतियावाद रोज जन्म लेते है, जैसै की निर्मल बाबा का चूतियावाद, तथाकथित संत रामपाल, साहिब बंदगी चूतियावाद, आसाराम, ऱाम-रहीम-ऐन्थोनी, और राधास्वामीयों का चूतिया बनाओ-पौपर्टी डीलरवाद.
इसी श्रेणी मे आता है राधे माँ का चूतिया बनाओ रन्डीवाद का हाई प्रोफाइल ड्रामा, या बंबईया फिल्मों, जैसे pk का चूतियापंन्थ के समर्थन में एक निष्चित उद्देष्य लिये, हिन्दु विरोधी मानसिकता होना, या हिन्दू धर्म को चूतियापंन्थ के रूप मे पेश किया जाना, तथा सभी चूतियावादी हिन्दुओं द्वारा उसका समर्थन करना.
गली- पुलों पर, हरी चद्दर का बाबावाद इत्यादी.
इन सभी के प्रेरणा स्त्रोत है, चूतिया गॉधी का चूतियावाद.
चूतियावाद, दुष्टों अथवा सत्ताधीरियों का चापलूसी वाद, ढोंगवाद, धूर्त-चतुर जैन-बनियावाद, या स्वार्थवादी अराजक-गुन्डावाद, जो अपने को उदारवाद, समाजवाद, वामपंथ इत्यादी कहलाना पसंद करता है, सभी चूतियावाद हैं यह चूतियावादी मानसिकता तथा पाखंड के ड्रामे के सहारे चलते पनपते हैं, तथा मार्किटिग किसी राजनैतिक, NGO, या वोट बैंक को लक्ष्य कर बनाये जाते हैं.
स्वभाविक है उपरोक्त कारणवश, किसी भी साधारण या normal मनुष्य को चूतियापंन्थ से विषेश allergy होना, कभी यह भी होता है, की चूतियापंन्थ का मर्म अनुभवहीनता के रहते एकाएक समझ ना आवे,
चूंकी यह अपनी खुद के अक्ल के उपयोग की सामान्य प्रक्रीया की कोशिश करने से ही समझ पडता है, कम अक्ल लोग इस को समझने में वाकई बेचारे तथा लाचार हैं.
विभिन्न उपरोक्त तथा कई और किस्म के चलाये गये चूतियापंथों का जन्मदाता व प्रेरणा स्तोत्र, गॉधी का चूतियावाद ही है.
ये सभी चूतियावाद महामारी के कीटाणु है; तथा
महामारीयाँ हैं, मुख्यतह: दो,
इस्लाम तथा इसाइयत
तथा विभिन्न चूतियावाद हैं, इन महामारियों के कीटाणु !
गॉधी का चूतियावाद, अलग अलग दुकानदारों द्वारा विभिन्न किस्म के चूतियावादों में जन्म दे देशद्रेही गतिविधियों को अंजाम देता है.
उमरोक्त महामारियों को किसी न किसी बहाने से स्वीकार्य बना बना कर पेश करने का लक्ष्य रखता है, मार्किटिग करता है, और इन महामारियों के ऐजेन्ट, जासूस तथा वकील का रोल अदा करता है.
इन्सानों या इन्सानियत से हिन्दू को कभी दुशमनी नहीं रही ना है.
इस्लाम तथा इसाइयत हैवानियत के दूसरे नाम है, परंन्तु उसमें भी कभी, गल्ती से, इंन्सान उपज जाते हैं, तथा उनसे, इंसानियत के चलते, हमदर्दी हो जाना भी स्वाभाविक हो सकता है, किन्तु चूतियावादी से हमदर्दी नहीं हो सकती,
क्योंकि ये चूतिये इंसान नहीं होते, बल्कि मनुष्य का रूप धरे भेडिये या जरख हैं, तथा इस्लामी या इसाई हैवानियत के ऐजेंन्ट, महामारी के प्रसार प्रचार ऐजेंन्ट, चुगलखोर, जासूस और वकील होते है तथा जयचंद के कार्यकलाप अथवा देशद्रोह संक्षेप में इनका राजनीतिक या किसी लाभ के चलते निजी उद्देश्य होता है.
सभी चूतियावादी अंतरमन से इसलाम /इसाईवाद को समर्पित होते हैं, केवल छद्म आवरण के रूप में, हिन्दू बने रहने का, जैन, सिख इत्यादी होने का स्वॉग बनाये रखते हैं और गॉधी के चूतिया पन्थ को चूतियों के धर्म के रूप में प्रचारित करते है.
नेहरू ने चूतियापंन्थ के प्रचारकों व चिन्तकों के पेट भराई की विशेष आरक्षण व्यवस्था अनेकानेक केन्द्रीय विश्विद्यालयों जैसे की JNU में की थी, जिसका मूल उद्देश्य था गॉधी के चूतियापंथ को देश के धर्म के रूप में स्थापित करना, तथा देश को चूतिया देश बनाना जिसमें कॉग्रेस आनेवाले हजार वर्षों तक, नेहरू तथा मुसलमानों के बनाये नकली गॉन्धी खानदान का सम्राज्य बनाये रखे.
गॉन्धी को इस नये युग का मसीहा बना नव चूतिया बन देश का पिता घोषित करना तथा गान्धी के देशद्रोही चूतियापंन्थ का विदेशों मे भी प्रचार कर, हैवानियत को स्थाई संरक्षण प्रदान करना, तथा वामपंन्थी, नक्सलवादी, अराजकतावादीयों का स्थाई आरक्षण करना, इस प्रकार के चूतियापंन्थीयों को छाँट-छाँट कर न्याय व्यवस्था में स्थायी रूप से स्थापित करना, चूतियापंन्थ का अंग्रेजी तथा प्रादेशिक भाषाओं में गुणगान करने वाले समाचार पत्र एवं सम्पादकों, मिडियाकर्मीयों का विभिन्न योजनाबद्ध तरीकों से संगरक्षण यह था गॉन्धी के चूतियापंन्थ संगरक्षण की मशीन अथवा नेहरूवाद, या कॉग्रेसवाद.
इतालवी माफीया की बारगर्ल सोनिया ने इसमें अप्राकृतिक मैथुन करने वालों को, इसी चूतियापंथ में विषेष न्यायिक मान्यता दिलवानी चाही थी.
नासमझ लोग मेहरबानी कर गॉधी से अटलबिहारी को जोडने की मजबूरी (क्योंकि डा. शयामाप्रसाद मुखर्जी तो हिन्दूवादी थे, आजादी से पूर्व हिन्दू महासभाई थे तथा फिर भी आजादी पूर्व फजले हक के मुस्लिम लीग मंत्रिमंडल में शिक्षामंत्री बनाऐ गये थे) मोदी के चूतियावाद के प्रति समर्पण व आसक्ती को पहचानें, गॉधी के चूतियावाद को चूतियावाद ही कहें, तथा इसे पहचानें व बचें, किन्तु इसे महान या कोई अन्य नाम देकर चूतियावाद की हिमायत ना करें.